Monday, May 9, 2011

छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिती जिला न्यायालय भवन की ऐतिहासिक ईमारत तोडने के खिलाफ –



राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेगी – संघर्ष का आव्हान

छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिती की रविवार , दिनांक 8’मई , को हुई बैठक में रायपुर के ह्रदयस्थल शास्त्री चौक पर स्थित मराठा काल में निर्मित भवन को तोड़ने का तीव्र विरोध नगर के गणमान्य नागरिकों , इतिहासवेत्ताओं , शिक्षाविदों और समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अग्रणी लोगों के द्वारा किया गया | ज्ञातव्य है कि रायपुर शहर के लिहाज से यह एक ऐतिहासिक इमारत है , जिसमें वर्त्तमान में जिला न्यायालय लगता है |

छत्तीसगढ़ के प्रमुख इतिहासवेत्ता डा.प्रभुलाल मिश्र , डा. रमेन्द्रनाथ मिश्र , प्रो. लक्ष्मीशंकर निगम ने छत्तीसगढ़ शासन के इस ऐतिहासिक इमारत को तोड़कर उसके स्थान जिला न्यायालय के लिये नया बहुमंजिला भवन बनाने के निर्णय के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के अलावा अन्य अनेक राज्यों में 100 वर्षों से पहले निर्मित भवनों की सुरक्षा हेतु हेरीटेज एक्ट बना हुआ है | इसी हेरीटेज एक्ट के अंतर्गत पुराने इमारतों का कानूनी रूप से संरक्षण किया जाता है | उन्होंने कहा कि लेकिन दुर्भाग्य से छत्तीसगढ़ में ऐसा कोई भी एक्ट नहीं है जिसके तहत कानूनन पुरानी इमारतों का संरक्षण हो सके | उन्होंने इतिहास के तथ्यों और 1855 के संरक्षित पत्रों का हवाला देते हुए बताया कि वर्त्तमान जिला न्यायालय भवन सौ साल से भी ज्यादा पुराना है और अनेक इतिहासकारों के अनुसार इसमें रायपुर बूढापारा स्थित किले के बड़े पत्थरों का इस्तेमाल निर्माण में किया गया है | प्रदेश के जानेमाने और वरिष्ठ आर्किटेक्ट टी.एम.घाटे ने नगर की विकास योजनाओं में दूरदृष्टि का अभाव बताते हुए कहा कि यही कारण है कि शासन के स्तर पर किये जा रहे निर्माण चार छै साल में ही कम और छोटे पड़ जाते हैं | प्रदेश हेरीटेज बचाओ समिती की और से बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन ने कहा कि हेरीटेज एक्ट के छत्तीसगढ़ में प्रभावी नहीं होने के कारण पुराने भवनों को संरक्षित नहीं किया जा सक रहा है परन्तु इसका आशय यह नहीं है कि हम किसी भी पुरातात्विक महत्त्व के भवन को तोड़कर वहाँ अपनी सुविधा अनुसार नए भवन का निर्माण कर लें |

ज्ञातव्य है कि राज्य शासन वर्त्तमान न्यायालय परिसर को तोड़कर वहाँ पर बहुमंजिला इमारत का निर्माण नए न्यायालय भवन हेतु करने जा रहा है और इसके लिये निविदा प्रक्रिया पूरी होकर कार्यादेश भी जारी कर चुका है | सभा को उपस्थित गणमान्य नागरिकों में से प्रमुख रूप से सर्व/श्री अनिल पुसदकर , सुभाष मिश्रा , ओझाजी , शशी भाई , अपूर्व गर्ग , विजय झा , दिलीप क्षत्रे , अनिल गुरुबख्शानी , डा.दल्ला , अरुण कान्त शुक्ला , संजय पाठक , इत्यादि ने भी संबोधित किया | वक्ताओं ने न्यायालय भवन की ऐतिहासिक इमारत को तोडने का विरोध करने के साथ साथ शहर के अंदर व्याप्त अन्य समस्याओं पर भी पहल करने का आग्रह नागरिक संघर्ष समिति से किया | समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि जिला न्यायालय की इमारत को ढहाने से रोकने के लिये एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मुलाक़ात कर ज्ञापन सौंपेगा , रायपुर की ऐतिहासिक धरोहरों की सूची तैयार कर उनको बचाने की कार्रवाई के लिये एक समिति गठित की जायेगी , शासन से मांग की जायेगी कि जवाहरलाल नेहरू अरबन एंड रूरल मिशन के प्रावधानों को पूर्ण सतर्कता और बिना चुके लागू करने के उपाय शासन करे | सभा का संचालन हरजीत सिंह ने किया और प्रस्ताव तथा भूमिका नागरिक संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष डा. राकेश गुप्ता ने रखी | नागरिक संघर्ष समिति के शहर अध्यक्ष विश्वजीत मित्रा ने धन्यवाद ज्ञापन किया |    

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