मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के नाम खुला पत्र :
बेस्ट माईन्ड्स की जरूरत सरकार और राजनीति में है,
श्रीमान सिब्बल साहब ,
आप काफी दिनों से राजनीति
और सरकार में हैं और हम सब अच्छी तरह जान चुके हैं कि बड़ी बड़ी बातें करना आपका
व्यक्तिगत शौक है | सीएबीई की बैठक में , जहां
आपके चमचे और शिक्षा के ब्यूरोक्रेट ही मौजूद होंगे , आपकी बात का जबाब कोई नहीं देगा | अपने गिरेबान में झांक कर देखिये तो आपको पता चल जाएगा कि
शिक्षा की इस स्थिति के लिए जिम्मेदार शिक्षकों की अशिक्षा और उनका कम पढ़ा लिखा
होना या योग्य व्यक्तियों का शिक्षा व्यवसाय में आने से कतराना नहीं , बल्कि आपकी नीतियां हैं , जिनके तहत आपकी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र का अधिकाँश हिस्सा निजी हाथों में
व्यवसाय के लिए छोड़ दिया है |
पांच
सितारा निजी स्कूलों से लेकर कुकुरमुत्ते की तरह शहरी क्षेत्र में मोहल्ले मोहल्ले
में खुल गये स्कूलों में जहां एक ओर पालकों से हजारों में फीस वसूल की जाती है तो
वहीं शिक्षकों को पांच सौ से लेकर दो हजार रुपये में हायर सेकेंडरी तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जाता है | प्रायमरी
स्कूलों और बड़े स्कूलों की नर्सरी और प्रायमरी कक्षाओं का तो और भी बुरा हाल है
क्योंकि वहाँ के बच्चे तो स्कूल की व्यवस्था की बातें अपने पेरेंट्स को बता नहीं
सकते हैं और स्कूल इसका पूरा फ़ायदा उठाते हैं | आपका इस
पर कोई नियंत्रण है क्या ?
यहाँ तक कि जो स्कूल
सरकारी अनुदान प्राप्त हैं , जहां शिक्षकों को नियमानुसार शासकीय वेतनमान प्रदान
करना है , वहाँ भी , प्राथमिक स्तर से
लेकर हायर सेकंडरी तक शिक्षकों से वेतन पत्रक पर पूरे वेतन प्राप्ती के हस्ताक्षर
लिए जाते हैं और वेतन एक तिहाई से भी कम दिया जाता है | क्या ,
आप अब यह तो नहीं कहना चाहेंगे कि इस सब के बारे में आपको कुछ पता नहीं है ? यदि
ऐसा कहना चाहते हैं तो फिर मानव संसाधन मंत्री बने रहने का कोई भी नैतिक बल आपके
पास नहीं है | जिन नीतियों पर सिब्बल
साहब आपकी सरकार चल रही है , उनके तहत शिक्षा
देने का उद्देश्य आपके लिए कारकून पैदा करना और शिक्षा क्षेत्र को मुनाफे का जरिया
बनाने से ज्यादा नहीं है |
जहां तक उच्च शिक्षा का
सवाल है , वहाँ भी जितने अच्छे सेंटर हैं , जहां से कोचिंग लेकर बच्चे केम्पस सलेक्शन में जाते हैं , एक तरफ तो फीस के नाम पर लूट मची है तो दूसरी तरफ वहाँ
शिक्षकों का काम सेट पैटर्न पर बच्चों को रटाकर प्रतियोगी परिक्षा के लिए तैयार
कराना ही रहता है , इस काम को करने के लिए
केवल कुछ ऐसे लोगों की जरुरत होती है , जो बिना
दिमाग लगाए , जो मिले उसी में संतोष करके , इसे करते रहें , बेस्ट माईंड की नहीं |
पूरी
शिक्षा और उसके लिए की जाने वाली व्यवस्था से , प्राथमिक
स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक स्वयं होकर प्रत्येक बच्चे के हिसाब से पढ़ाने के
तरीके में बदलाव करने का जो शिक्षकों का इनोवेशन होता था , उसका तो
आपकी नीतियों ने वैसे ही बंटाधार कर दिया है , जैसा कि
स्वयं राजनीति में इस देश के राजनीतिज्ञों , नौकरशाहों
और सरकार का हुआ है | आप अपने दिल पर हाथ रखकर
कहिये कि क्या आप , आपकी सरकार या आपकी जमात के राजनीतिज्ञों में इनोवेशन जैसा कुछ
बचा है ? क्या आप , आज इस देश में , इस देश
के लोगों की आवश्यकता और भलाई के लिए वैसा कुछ कर सकते हैं , जैसा कभी कभी आपका दिल बोलता और दिमाग बोलता होगा | नहीं कर सकते , क्योंकि
आपका दिमाग ,
दिल और पूरी सोच वर्ल्ड बैंक , आईएमएफ , विश्व व्यापार संगठन
, मल्टीनेशनल कंपनियों और अमेरिका , यूरोप के पास बिक गया है और उसके बदले में आप इस देश के धन्नासेठों
और संपन्नों के लिए उनके जीवन के ऐशो आराम के साधन जुटा रहे हो |
सिब्बल साहब , आप और आपकी सरकार और , मुठ्ठी भर
वामपंथियों को छोड़ दें तो , पूरी राजनैतिक जमात , उस नशेड़ी के समान हैं , जो अपनी जमीन , घर का सामान और यहाँ तक कि घर के लोगों की जीवन की मूलभूत
आवश्यकताओं तक को बेचकर स्वयं के लिए और अपने परिवार के दूसरे नशेड़ियों के लिए नशे
का सामन जुटाता है | दुर्भाग्य से आप , आपकी सरकार और आपकी जमात
के राजनीतिज्ञ वही भारत और भारत में रहने वाले आमजनों के साथ कर रहे हैं | देश के
खनिज , जमीन और हम जैसे लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं को देशी विदेशी धन्नासेठों को
बेचकर संपन्न भारत (नशेड़ी) के लिए ऐश का सामान जुटा रहे हैं |
सिब्बल साहब , शिक्षकों का जितना अनादर पिछले बीस वर्षों में आपकी आर्थिक
नीतियों के तहत , केन्द्र की सरकार और देश
की सभी राज्य सरकारों ने किया है , उससे
समाज में वे अपना स्थान (प्रतिष्ठित) खोये हैं | इसके बाद भी यदि आपको लगता है कि
बेस्ट माईन्ड्स इस क्षेत्र में आना चाहेंगे तो आप फिर किस स्वर्ग में रह रहे हैं ,
आप खुद सोचिये | इसी देश में कुछ दशक पहले भी शिक्षकों को अन्य पेशों के
मुकाबले कम मेहनताना प्राप्त होता था , पर वे
असंतुष्ट नहीं रहते थे , क्योंकि समाज में उनका
सम्मान था और एक प्रतिष्ठित स्थान था | उस
स्थान को छीनने के बाद , परंपरागत पढाई को नंगा कर
कोने में बिठालने के बाद , उसकी जगह बाजार में प्रोफेशनल
शिक्षा देने के नाम पर , खुद के सहित सब कुछ बेचने की कला सिखाने वाली पढाई को
प्रमुखता देने के बाद , आपको लगता है कि बेस्ट
माईन्ड्स के लिए शिक्षा के क्षेत्र में कोई स्थान है ?
आप कहते हैं कि शिक्षण
व्यवसाय में आपको बेस्ट माईन्ड्स की जरुरत है और मैं कहता हूँ कि शिक्षा के
क्षेत्र में बेस्ट माईन्ड्स पाने के लिए पहले इस देश के राजनीतिज्ञों के दिमाग की
ओवरहालिंग करके उसमें से अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं , अमेरिका यूरोप तथा देशी धन्नासेठों की गुलामी करने की सोच को निकालकर , उसकी जगह राष्ट्रीय सोच भरने की जरुरत है | या इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि सर्वप्रथम बेस्ट माईन्ड्स की
जरूरत सरकार और राजनीति में है | वहाँ यदि यह जरुरत
पूरी हो जाए तो शिक्षा क्षेत्र के सहित देश की बाकी सस्थाओं में यह जरुरत स्वयंमेव
पूरी हो जायेगी और देश में मौजूद भ्रष्टाचार , कालेधन
सहित सभी समस्याएँ साल्व होना शुरू हो जायेंगी |
मुझे उम्मीद है , आप इससे सहमत होंगे क्योकि पेड़ को नहलाने से जड़ में पानी
नहीं जाता ,
वो तो जड़ में डालना पड़ता है | और , जड़ में पानी डालने से पेड़
मजबूत होता है |
इसी तरह बेस्ट माईंड यदि सरकार और राजनीति
में होंगे तो बाकी जगह तो स्वयंमेव पहुंचेंगे ही |
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