Wednesday, November 28, 2012

क्यों मनाया जाता है अमेरिका में स्माल बिज़नेस शनिवार?



क्यों मनाया जाता है अमेरिका में स्माल बिज़नेस शनिवार?

कभी कभी बात को चुटकुले से शुरू करना भी अच्छा होता है एक बार संता की भैंस बीमार पड़ गई संता ने बंता से पूछा, जब तुम्हारी भैंस बीमार पड़ी थी तब तुमने भैंस को क्या दवाई दी थी? बंता बोला मैंने उसे सरसों के तेल में गुड़ मिलाकर खिलाया था संता ने घर आकर अपनी भैंस को भी सरसों के तेल में गुड़ मिलाकर खिलाया संता की भैंस मर गई संता फिर बंता के घर गया और बंता से बोला कि सरसों के तेल में गुड़ मिलाकर खिलाने से मेरी भैंस मर गई बंता ने जबाब दिया, वो तो मेरी भैंस भी मर गई थी संता ने कहा कि फिर तुमने बताया क्यों नहीं? बंता का जबाब था, तुमने पूछा कहाँ था? भारत के अंदर लागू किये जा रहे आर्थिक सुधारों की स्थिति सरसों के तेल और गुड़ की औषधि जैसी ही है जिसे देश की जनता को भारत सरकार याने संता अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं और अमेरिका याने बंता के दबाव में खिलाए जा रही है, बिना इस दरयाफ्त के कि खुद उन मुल्कों की हालत क्या है?

मल्टीब्रांड खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश याने , वाल मार्ट ,केरीफोर , मेक्स जैसी भीमकाय कंपनियों को आमंत्रण इसका सटीक उदाहरण है इसे देश के लिए दुर्भाग्यजनक विडम्बना ही कहेंगे कि 22’नवंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों में कोई कार्य इसलिए नहीं हो पाया है क्योंकि केन्द्र सरकार किसी भी हालत में देश के खुदरा क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने पर आमादा है ठीक उसी दरम्यान, उसी अमेरिका में, जहां का राष्ट्रपति और वित्तसचिव रोज भारत के ऊपर खुदरा क्षेत्र को खोलने के लिए दबाव डालते है, 24 नवंबर याने शनिवार को लघु व्यवसाय शनिवार(SMALL BUSINESS SATURDAY) मनाया जाता है और खुद राष्ट्रपति ओबामा अपनी बेटियों के साथ एक बुकस्टोर में जाकर खरीददारी करते हैं इस लघु व्यवसाय दिवस को मनाये जाने की परिपाटी अमेरिका में कोई परंपरागत नहीं है बल्कि दुनिया को बाजार अर्थव्यवस्था में जकड़ने के बाद बीसवीं सदी के अंतिम दशक से बाजार में खरीददारों को खींचकर लाने के लिए बिगबॉस स्टोरों ने जिस तरह धर्म, भावनाओं और दूसरे आधारों पर अवसरों को गढ़ कर छोटे व्यवसायीयों  को किनारे किया, उसके मुकाबले के लिए तीन साल पहले गढा गया दिन है भारत में जिस तरह दिवाली के पहले पुष्य नक्षत्र पर खरीददारी को बाजार के बड़े खिलाड़ियों ने विज्ञापनों के जरिये प्रमुख बना दिया, उसी तरह अमेरिका के बिगबॉस स्टोरों ने अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों में नवंबर के चौथे शुक्रवार को खरीददारी के लिए शुभ बताते हुए ब्लेक फ्राईडे के नाम से प्रचारित किया है और पिछले लगभग एक दशक से स्थिति यह है कि अमेरिका में ब्लेक फ्राईडे को की गई खरीददारी क्रिसमस पूर्व के शनिवार से कई गुना अधिक होती है क्रिसमस पूर्व के शनिवार को खरीददारी का मसीही धर्म में वैसा ही महत्त्व है, जैसा भारत में दिवाली के पहले लक्ष्मी पूजन के दिन खरीददारी का 

अमेरिका में नवंबर का चौथा गुरूवार धन्यवाद पर्व के रूप में मनाया जाता है और दूसरे दिन ही ब्लेक फ्राईडे खरीदादारी दिवस के रूप में और उसके बाद आने वाले सोमवार को साईबर डे याने ऑन लाइन खरीददारी का दिन याने बिगबॉस बिज़नेस और हाईटेक बिज़नेस के बीच में एक ऐसे दिन की भी आवश्यकता महसूस हुई, जिस दिन उत्सव के रूप में लोग छोटी दुकानों से खरीददारी करेंआखिर क्यों? इसके जबाब में अमेरिका के नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिपेंडेंट बिज़नेस के सीईओ डेन डेनर कहते हैं कि अमेरिका का लघु व्यवसाय पिछले वर्षों में आयी मंदी और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भी न केवल एक दीपस्तंभ की भाँती खड़ा रहा बल्कि इसने रोजगार दिये, उन लोगों के परिवारों को सहारा दिया, जिन्हें इसने रोजगार दिया और अपने आसपास के समाज को सपोर्ट भी किया ऐसे क्षेत्र को समर्थन और मदद(खरीददारी करके)करके न केवल अर्थवयवस्था को पूरी तरह बहाल करने में मदद की जा सकती है, बल्कि एक स्वस्थ्य समाजोन्मुखी निजी क्षेत्र भी पुनर्स्थापित किया जा सकता है डेन का सीधा मतलब था कि बिगबॉस याने बड़े भीमकाय स्टोर्स न तो समाज की चिंता करते हैं और न ही देश की अर्थव्यवस्था को सुदृण करने में कोई मदद कर सकते हैं

अमेरिका की सरकारी संस्था स्माल बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन की एडमिनिस्ट्रेटर करेन मिल्स ने व्हाईट हाऊस के ब्लॉग पर लिखा कि लघु व्यवसाय अमरीकी समाज की रीढ़ की हड्डी हैं जब हम इन छोटी दुकानों पर खरीददारी करते हैं, हमें न केवल अच्छा सामान और अच्छी सेवा मिलती है बल्कि हम अपने स्थानीय समाज की भी मदद करते है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करते हैं वे इतने पर ही नहीं रुकीं, उन्होंने आगे कहा कि पिछले दो दशकों में लघु व्यवसाय ने अमेरिका में पैदा हुए प्रत्येक तीन रोजगारों में से दो का निर्माण किया है और आज रोजगार शुदा अमेरिकियों में से आधे या तो लघु व्यवसाय में रोजगार पा रहे हैं या स्वयं का रोजगार चला रहे हैं यह सच है कि अमेरिका हमेशा दोमुहीं नीतियों पर चलता है उसकी नीतियां, उसके देशवासियों, उसके उद्योगपतियों, उसके किसानों के लिए अलग होती है और दूसरे देशों के लिए अलग जब अमेरिका में रिटेल को मजबूत करने की कोशिशें हो रही हैं तो भारत में उसका दबाव रिटेल को भीमकाय कंपनियों को सौंपने के लिए है यदि अमेरिका में काम करने योग्य जनता का आधा हिस्सा रिटेल से रोजगार पा रहा है तो भारत में तो ये आंकड़ा और भी अधिक है, जहां लगभग बाईस करोड़ लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रिटेल से रोजगार पा  रहे हैं तीन साल में एक करोड़ रोजगार पैदा होने का सरकारी आंकड़ा कितना भ्रामक है, इसका खुलासा व्यापारियों के संगठन केट(CAIT) ने किया हैयदि सरकार कहती है कि आने वाले तीन सालों में 40 लाख रोजगार पैदा होंगे तो वाल मार्ट या आने वाले सभी भीमकाय सुपर स्टोर्स को 18600 स्टोर खोलने होंगे| इसका मतलब यह हुआ कि भारत के 53 मेट्रोपोलिटिन शहरों में से प्रत्येक में 644 स्टोर| बात गले उतरने वाली नहीं है

जैसी खबरें आज हैं, यूपीए आज नहीं तो कल सभी तिकड़में जमाकर मुलायम, माया, द्रमुक के भरोसे संसद में आवश्यक संख्या का जुगाड़ कर ही लेगी यह भारतीय राजनीति की विडम्बना है कि दो दशक पहले जिन क्षेत्रीय दलों को प्रदेश के लोगों ने राष्ट्रीय राजनीति में एक संतुलनकारी भूमिका निभाने भेजा था, वे भी आज प्रमुख राष्ट्रीय दलों जैसे ही भ्रष्ट और अवसरवादी हो गए हैं यदि इन दलों ने अपने पहले विदेशी निवेश विरोधी रुख से पलटी खाकर एफडीआई के प्रस्ताव को पास करने में मदद करी तो यह भारतीय लोकतंत्र के माथे पर एक बड़ा धब्बा होगा इसे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि जब अमेरिका में खुदरा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए खुद ओबामा खरीददारी करने निकलते हैं तो हमारे देश की सरकार खुदरा क्षेत्र को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले करने की जिद्द पर अड़ी है
अरुण कान्त शुक्ला                                                         28/11/2012                        

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