Thursday, April 4, 2013

मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना--हंटिंग विद दी हाऊंड्स एंड रनिंग विद दी हेयर्स



मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना
हंटिंग विद दी हाऊंड्स एंड रनिंग विद दी हेयर्स

आज के दौर की सरकारों पर, चाहे वह केंद्र की सरकार हो या किसी राज्य की अंग्रेजी की उपरोक्त कहावत हंटिंग विद दी हाऊंड्स एंड रनिंग विद दी हेयर्स(शिकारी कुत्तों के साथ शिकार करना और खरगोशों के साथ दौड़ना) एकदम सटीक बैठती है इसी का एक नमूना आज हम छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर राज्य सरकार और चिकित्सा क्षेत्र के दिग्गजों के बीच मचे घमासान के रूप में देख रहे हैं प्रदेश में यह चुनावी वर्ष है अतएव भाजपा की रमन सरकार के लिए उसकी मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना रनिंग विद दी हेयर्स याने खरगोशों के साथ दौड़ने के माफिक ही है खरगोशों के साथ दौड़ने का मतलब है, वोट बटोरने के लिए आम प्रदेशवासी के साथ होने का ढोंग करना लेकिन, पिछले 12 वर्षों में न केवल भाजपा सरकार ने बल्कि उसके पूर्व तीन वर्ष तक शासन में रही कांग्रेस सरकार ने भी जिस तरह सार्वजनिक चिकित्सा क्षेत्र की उपेक्षा करके चिकित्सा के क्षेत्र में बड़े नैगमों और मंझोले तथा छोटे निजी खिलाड़ियों को तवज्जो दी है, उसी का परिणाम है कि चिकित्सा क्षेत्र के वे ही खिलाड़ी आज सरकार पर आँखे तरेर रहे हैं

राज्य के लोगों के स्वास्थ्य और चिकित्सा की देखभाल के मामले में राज्य सरकार का बर्ताव प्रदेशवासियों के साथ शिकारी कुत्तों के साथ शिकार करने याने चिकित्सा क्षेत्र के निजी खिलाड़ियों के साथ मिलकर प्रदेशवासियों का शोषण करने का ही रहा है चिकित्सा क्षेत्र के नैगमों और मंझोले तथा छोटे खिलाड़ियों को जहाँ पिछले 12 वर्षों में राज्य सरकारों ने शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में दो एकड़ तथा पांच एकड़ जमीन एक रुपये टोकन कीमत पर सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल और निजी नर्सिंग होम शुरू करने के लिए उपलब्ध करायी   है वहीं, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के अपने उत्तरदायित्व से इस तरह पल्ला झाड़ा है कि राज्य में लगभग 201 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की आवश्यकता के एवज में केवल 136 केंद्र ही हैं और उनमें से भी सौ से उपर का खुद का  कोई भवन नहीं है यही हाल प्राथमिक और उपस्वास्थ्य केन्द्रों का है लगभग 29% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या तो भवन विहीन हैं या किराए के घरों में चलाये जाते हैं 38% उपस्वास्थ्य केंद्र भवन विहीन हैं जहां तक मानव संसाधन उपलब्ध कराने की बात है, जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, राज्य के सरकारी अस्पतालों में ही डॉक्टरों के 12सौ से ज्यादा पद खाली पड़े हैं

मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना में ईलाज की दरों में कमी का कारण बताकर जिन नर्सिंग होम और सुपर स्पेशलिटी हास्पिटलों ने स्मार्ट कार्ड मशीनें वापस कर ईलाज करने से मना किया है, उन अस्पतालों से सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के तहत भी ईलाज करने का अधिकार छीन रही है इससे ऐसा लगता है कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों को रियायती दरों पर स्वास्थ्य उपलब्ध हो इसके लिए बहुत गंभीर है पर, यह गंभीरता चुनावी वर्ष में खरगोशों(आम आदमी) के साथ खड़े होते दिखने  की कवायद के सिवा कुछ भी नहीं है वरना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना में, जोकि केंद्र सरकार की अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना है, चिकित्सकों के स्वीकृत 439 पदों में से 370 पद खाली नहीं पड़े होते अम्बेडकर अस्पताल में, जो प्रदेश का सबसे बड़ा मेडिकल कालेज से जुड़ा अस्पताल है, कर्मचारियों के 273 महत्वपूर्ण पद खाली नहीं पड़े होते

वस्तुस्थिति यह है कि प्रदेश के निजी चिकित्सा क्षेत्र में केयर, नारायणा जैसे और स्थानीय भीमकाय कार्टेलों का कब्जा है अंधाधुंध मुनाफ़ा बटोरने की लालच में प्रदेश के इन भीमकाय और मंझोले खिलाड़ियों ने जबरिया गर्भाशय निकालने तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के स्मार्ट कार्डों में गबन जैसे कांडों  को भी अंजाम दिया है इतना ही नहीं राष्ट्रीय बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड धारी मरीजों के जिस रोग के इलाज में इन्हें फ़ायदा कम या नहीं दिखाई देता है, उस मरीज को ये बिना ईलाज के भी वापस लौटा देते हैं ये नैगम और बड़े खिलाड़ी इतने ताकतवर हैं कि न तो ये सरकार को कुछ समझते हैं और न ही किसी प्रकार की सरकारी निगरानी की इन्हें कोई परवाह होती है बड़े नैगमों को ऐसा करते देखकर मंझोले और छोटे निजी खिलाड़ी भी उसी रास्ते पर चलने लगते हैं आईएमए इनके गोरखधंधों को छुपाने वाला छाता है, जिसकी आड़ में ये न केवल अपने गोरखधंधे चलाते है बल्कि सरकार को धमकाते भी हैं शनैः शनैः सरकारों की भी राजनैतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति कमजोर पड़ती जाती है और सरकारें इन पर से अपना नियंत्रण खो देती हैं, जैसा की हम अभी छत्तीसगढ़ में होता देख रहे हैं अमेरिका में 2007 में हुए एक अध्यन में तो यह भी कहा गया है कि अमेरिका के स्वास्थ्य क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन का पूरा पूरा कारण चिकित्सा क्षेत्र में बाजार तंत्र और मुनाफाखोर नैगमों पर भरोसा करना है उसी रिपोर्ट के अंत में अमेरिकी सरकार को यह सलाह भी दी गयी है कि वो दूसरे देशों को चेताये की वो इस रास्ते पर चलने से बाज आयें

इन बड़े खिलाड़ियों को ये उम्मीद थी की मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की राशी लाखों में होगी और इन्हें प्रदेश की गरीब जनता की गाढ़े पसीने की कमाई को हथियाने का आसान तरीका मिल जाएगा पर, 30 हजार की अल्प राशी से इनका दिल टूट गया चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री सिर्फ आम लोगों(खरगोशों)के साथ खड़ा दिखना चाहते थे, इसीलिये राज्योत्सव, कुम्भ, ग्राम और नगर सुराज, नई राजधानी, आईपीएल, तीर्थ यात्रा, पर अरबों रुपये लुटाने वाली सरकार ने प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य के लिए मात्र 30 हजार रुपये निकाले पर चिकित्सा क्षेत्र के ये दिग्गज खिलाड़ी चाहते हैं कि राज्य सरकार उनके साथ मिलकर शिकार करे, खरगोशों के साथ दौड़े नहीं

अरुण कान्त शुक्ला
2,अप्रैल,2013
          

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